मुंबई-वदोदरा
एक्सप्रेस हायवे (60-100मी.चौडा,2000-2500 एकड खेती,जंगल और आदिवासी बस्तियों को
चौपट कर देगा), बुलेट ट्रेन (जमीन के नीचे 80ft और कई मीटर
चौड़ी सुरंग बनाकर जाएगी,उसके उपर के मकान,बोरवेल,कुए,झरने सुख जाएंगे,जलस्तर में
कभी न भरनेवाली गिरावट आएगी,जमीन बंजर बनेगी), स्पेशल मालवाहक रेल्वे लाईन 50-60
मीटर चौड़ी हजारों एकड जमीन,जंगल खेती,बस्ती ध्वस्त कर देगी,सुसरी डॅम में 13
हरेभरे गावों की जमीन,जंगल,खेती और आदिवासी बस्ती डुब जाएगी,ऐसे 5-10 डॅम बनाने की
योजनाए तैयार है।ईस सुजलाम सुफलाम क्षेत्र के आदिवासीयों का
पुनर्वसन"लातुर" जैसे बंजर,भूकंपग्रस्त और सूखाग्रस्त जिले में सरकार
करना चाहती हैं,क्या आदिवासी वहाँ जी पाएगा ?? ईन डॅम मे जमा पानी बुंदभर भी
किसानों को नहीं मिलेगा सब पानी नदीजोड प्रोजेक्ट के माध्यम से मुंबई जैसे शहरों
में बेचा जाएगा । पुराने डॅमों की हाईट 10-30 फुट तक बढाई जाने को मंजूरी दी गई
है। आदिवासीयों की जमीन छिन कर बनाए हुए दापचरी डेअरी प्रोजेक्ट की 15000 एकड की
जमीन पर मुंबई में प्रदुषन की वजह से बंद किया गये कारखाने आने को सहमति दी गई
है,जिसके लिए रिलायंस थर्मल पॅावर स्टेशन से स्पेशल बिजली की लाईन का काम डहाणु
-धुंदलवाडी रोड के किनारे चालु है। वहाँ इंडस्ट्रीयल कॅारिडोर बनने जा रहा है। दो
नयी गॅस पाइप लाईनें और उनके बाजु में दो सर्विस रोड बनेंगे,दो पाईप लाईनें पहले
ही बन चुकी हे । इसके लिए भी हजारों एकड की खेती,जंगल,और बस्तीया दाँव पर लगेगी।और
गौरतलब है कि यह सब डहाणु जैसे इको-सेंसेटिव्ह झोन में। हो रहा है,न्यायालय ने इस
एरिया को पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र धोषित कर के इस क्षेत्र में कोई
भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्रोजेक्ट पर रोक लगाई है,फिर भी विकास के
नाम पर सरकार पर्यावरण की अक्षम्य नुकसान करने पर तुली है ।महाराष्ट्र के पालघर
जिला के सिर्फ डहानु और पालघर ,तलासरी तालुका मे ही आदिवासीयों की 7000-7500 एकड
जमीन लुटनेवाली है । अन्य राज्य,जिला की जमीन जोडे तो होनेवाली हानी होश उडानेवाली
है। सुप्रिम कोर्ट का निरिक्षण है भारत में 40%आदिवासी लोगों को सरकारी तथा निजी
कंपनियों के खदान,डॅम,कारखाना आदि प्रोजेक्ट के लिए बलपूर्वक विस्थापित किया गया
है ।
आज ईन प्रकृति
रक्षक आदिवासीयों पर फिर से विस्थापित क्यों करना चाहती है सरकार....?
No comments:
Post a Comment